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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान मुज़फ्फ़रनगर
विषय- विज्ञान
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सामान्य उद्देश्य छात्रों में विज्ञान विषय के प्रति रूचि जाग्रत करना |
छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना | छात्रों में बौध्दिक क्षमता का विकास करना | छात्रों में दैनिक जीवन में विज्ञान से सम्बन्ध स्थापित करना सिखाना |
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विशिष्ट उद्देश्य छात्रों को सौरमंडल के बारे में जानकारी देना|
सौरमंडल के विभिन्न घटकों के बारे में बताना|
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आसमान में दिन के समय चमकने वाला सूर्य और रात में चमकने वाली समस्त आकृतियाँ जैसे- चंद्रमा, तारे, आदि आकाशीय-पिंड कहलाते हैं| कुछ आकाशीय-पिंड गैसों के बने होते हैं| इनमे अपनी ऊष्मा व प्रकाश होता है, जिससे वह निरंतर चमकते रहते हैं| इन आकाशीय-पिंडों को ‘तारा’ कहते हैं| ‘सूर्य’ भी एक तारा है|
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सौरमंडल
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सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह प्राकृतिक उपग्रह , क्षुद्रग्रह, उल्का धूमकेतु और खगोलीय धूल| हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है।
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इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्काएं और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं।
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ग्रह (PLANET) कुछ आकाशीय पिंडों में स्वयं का प्रकाश व ऊष्मा नहीं होती हैं | वे अपने तारें के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं | साथ ही वे अपने अक्ष पर घूमते हुए अपने तारें की परिक्रमा करते हैं | इन्हे ग्रह कहते हैं | जैसे हमारी पृथ्वी में स्वयं का प्रकाश नहीं हैं | वह सूर्य के प्रकश से प्रकाशित होती हैं | पृथ्वी एक ग्रह है जो सूर्य का चक्कर लगाती है |
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हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं –
बुध (MERCURY) शुक्र (VENUS) पृथ्वी (EARTH) मंगल (MARS) बृहस्पति(JUPITER) शनि (SATURN) अरुण (URANUS) वरुण (NEPTUNE)
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SHORT TRICK My Very Educated Mother Just Show Us Nine Planets .
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बुध (MERCURY) यह सूर्य के सबसे निकट है| यह सबसे छोटा ग्रह है|
यह सूर्य के चारों और 88 दिन में एक बार चक्कर लगता है| यहाँ दिन अत्यधिक गर्म और रातें बर्फीली होती हैं| परिमाण में यह पृथ्वी का 18वां भाग है| इसका गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का 3/8 भाग है|
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शुक्र (VENUS) यह ग्रहों में पृथ्वी के निकटतम है| यह सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है| यह सौरमंडल में सूर्य से दूसरे निकटतम स्थान पर है| यह “शाम का तारा- evening star” और “सुबह का तारा-morning star” के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध है| यहाँ रात और दिन के तापमान लगभग समान होते है| इसका कोई उपग्रह नहीं है| इसे पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है क्योंकि पृथ्वी और शुक्र के कई लक्षण एक समान है |
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मंगल (MARS) यह सौरमंडल में सूर्य से चौथे स्थान पर स्थित है
इसके दो उपग्रह हैं – फोबस और डीमोस इस ग्रह को “लाल ग्रह” (red planet) भी कहते हैं| सूर्य से इसकी दूरी cr km. है| मंगल के दो ध्रुव (poles) हैं तथा यहाँ भी पृथ्वी की भांति ऋतु परिवर्तन (climate change) होता है| ऐसा पृथ्वी की तरह इसकी धुरी झुकी होने के कारण होता है|
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बृहस्पति(JUPITER) यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है|
यह सूर्य से पाँचवे स्थान पर है| इसका घनत्व पृथ्वी के घनत्व का एक चौथाई है| यह सूर्य की परिक्रमा में 11.9 वर्ष लगाता है| इसका द्रव्यमान सौरमंडल के सभी ग्रहों का 71% एवं आयतन उनका डेढ़ गुना है| इसकी अपनी रेडियो उर्जा (radio energy) है| इसके सबसे ज्यादा उपग्रह (satellites) 67 हैं.
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शनि (SATURN) यह नंगी आँखों द्वारा दिखने वाला सबसे दूर का ग्रह है|
यह बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है| इसके उपग्रह की संख्या 62 हैं | इसका व्यास (diameter) 1,20,0000 कि.मी. है| यह सूर्य की परिक्रमा 29.5 वर्ष में पूरी करता है| इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन (Titan) है| इसके उपग्रह “टाइटन” पर नाइट्रोजन वाला वायुमंडल है|
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अरुण(URANUS) यह ग्रह सूर्य से सातवें स्थान पर स्थित है
यह ग्रह सूर्य से सातवें स्थान पर स्थित है इसके 15 उपग्रह हैं| इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है| इसके चारों और पाँच बहुत धुँधले वलय अल्फ़ा, बीटा, गामा, डेल्टा और इप्सिलान के हैं| इसके वायुमंडल में मिथेन गैस हैं| यह 84 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करता है. यह एकमात्र ऐसा planet है जो एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक अपने परिक्रमा कक्ष (orbit) में लगातार सूर्य के सामने रहता है.
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वरुण (NEPTUNE) यह सूर्य से आठवाँ सबसे दूर स्थित है|
ट्राइटन (triton)” और “Proteus” दो उपग्रह इसके सबसे बड़े उपग्रहों में से हैं. ट्राइटन उपग्रह पर वायुमंडल है. इसमें मुख्यतः नाइट्रोजन व्याप्त है| यह सौरमंडल का तीसरा पिंड है, जहाँ जागृत ज्वालामुखी पाया गया है|
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उपग्रह(SATELLITE) कुछ आकाशीय पिंड , अपने ग्रह की परिक्रमा करते हुए सूर्य की परिक्रमा पूरी करते है | जैसे चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है | यह अपने ग्रह की परिकर्मा करने के कारण 'उपग्रह' हो | सभी ग्रहों के उपग्रहों की सख्यां समान होना भी जरुरी नहीं है| जैसे हमारे सौरमंडल में किन्ही ग्रहों का एक भी उपग्रह नहीं है , और किसी ग्रह के 20 उपग्रह हैं | जैसे हमरी पृथ्वी का एक अकेला उपग्रह चन्द्रमा है , जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है
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क्षुद्रग्रह(ASTEROIDS)
ग्रहो और उपग्रह के अतिरिक्त अनेक छोटे छोटे पिण्ड भी सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगाते है | इन आकाशीय पिण्डों को क्षुद्रग्रह कहते हैं | यह मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच में पाए जाते हैं | वैज्ञानिक की राय हैं की क्षुद्र ग्रह , ग्रहों के टूटे हुए हिस्से हैं , जो बहुत समय पहले ग्रहों से टूटकर अलग हो गए थे |
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उल्का पिण्ड(METEOROIDS)
सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों को उल्का पिण्ड कहते हैं | ये कभी-कभी पृथ्वी के इतने निकट आ जाते हैं कि पृथ्वी के वायुमंडल के साथ रगडकर जलने लगते है और जलकर पृथ्वी पर गिर जाते है | इस प्रक्रिया में चमकदार प्रकाश उत्पन्न होता हैं | इन्हे ही टूटता हुआ तारा समझा जाता हैं |
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सूर्य(SUN) सूर्य हमारे सौरमंडल का तारा हैं | यह सौरमण्डल के केंद्र में स्थित हैं , और सभी ग्रह , उपग्रह व क्षुद्रग्रह निरंतर इसके चक्कर लगाते रहते हैं | सूर्य हाइड्रोजन , हीलियम जैसी बहुत गर्म गैसों से बना हैं , जो लगातार जलती रहती हैं | सौरमंडल में सूर्य ही प्रकाश व ऊर्जा का एकमात्र स्त्रोत हैं | सूर्य हमारी पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर हैं | इस कारण इसका प्रकाश लगभग 8.3 मिनट में पृथ्वी पर पहुँच पाता हैं | प्रकाश की चाल 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड है |
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पृथ्वी(EARTH) हमारी पृथ्वी जिस पर हम निवास करते हैं, भी एक ग्रह है| यह दूरी के क्रम में सूर्य से तीसरे स्थान पर है | आकार में यह सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है | पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन है | जीवन के लिए उपयुक्त दशाएं केवल हमारी पृथ्वी पर ही मिलती है | इसी कारण इसे हरित ग्रह (Green Planet) कहते हैं | पृथ्वी पर जल की मात्रा अधिक है| इस कारण अन्तरिक्ष से देखने पर यह नीले रंग की दिखाई देती है | इसलिए पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते हैं |
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चंद्रमा(MOON) चंद्रमा, पृथ्वी का अकेला उपग्रह हैं| चंद्रमा, पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है | इसकी पृथ्वी से दूरी लगभग ४ लाख किलोमीटर हैं | यह लगभग 27 दिन 7 घंटे 43 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करता हैं |
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पुच्छल तारे (COMET) पुच्छल तारे चट्टानों, बर्फ, धूल और गैस के बने आकाशीय-पिंड होते हैं | अकसर ये आकाशीय पिंड अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य के पास आ जाते हैं | सूर्य के ताप के कारण इसकी गैस और धुल वाष्प में बदल जाती हैं | यही वाष्प मुख्य पिंड से एक लम्बी सी चमकीली पूँछ के रूप में बाहर निकल जाती है | गुरुत्वाकर्षण के कारण इस तारें का सिर सूर्य की तरफ तथा पूँछ हमेशा ही बाहर की तरफ होती हैं ,जो आपको चमकती दिखायी देती हैं |
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तारामंडल (CONSTELLATION)
हमारा सौरमंडल तो ब्रह्माण्ड का एक बहुत छोटा भाग हैं | हमारे सौरमंडल जैसे कई सौरमंडल मिलकर एक तारामंडल बनाते हैं जैसे ‘सप्तर्षि तारामंडल’ |
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आकाशगंगा(GALAXY) करोड़ों तारामंडल मिलकर एक मन्दाकिनी (Galaxy) का निर्माण करते हैं | मन्दाकिनी, आकाश में एक ओर से दूसरी ओर तक फैली चौड़ी सफ़ेद लाखों तारों से भरी चमकदार पट्टी है | हमारी मन्दाकिनी का नाम आकाशगंगा (Milkyway) है | इस प्रकार की लाखों मन्दाकिनी मिलकर ब्रह्माण्ड का निर्माण करती है |
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ग्रहण(ECLIPSE) चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता हैं | पृथ्वी चंद्रमा सहित सूर्य की परिक्रमा करती है | चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य प्राय: एक सीध में नहीं होते हैं | किसी समय जब ये एक सीधी रेखा में आ जाते हैं तो सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण होते हैं |
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सूर्यग्रहण(SOLAR ECLIPSE)
जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में हो और चंद्रमा, सूर्य तथा पृथ्वी के बीच में हो तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है | पृथ्वी पर छाया वाले क्षेत्र में सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता है और वहां अँधेरा हो जाता है| इसे सूर्यग्रहण कहते हैं | सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन होता है , परन्तु प्रत्येक अमावस्या को सूर्यग्रहण नहीं होता है |
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पृथ्वी पर छाया वाले क्षेत्र से सूर्य जब बिलकुल नहीं दिखायी देता है तो इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते है | यदि सूर्य का कुछ भाग दिखायी देता है तो इसे आंशिक सूर्यग्रहण कहते है |
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चंद्रग्रहण(LUNAR ECLIPSE)
जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में होते हैं और पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में होती हैं तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती हैं | चंद्रमा के छाया वाले क्षेत्र में सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता है और वहां अँधेरा हो जाता हैं | चंद्रमा का यह भाग पृथ्वी से नहीं दिखायी देता है , इसे चंद्रग्रहण कहते है | चंद्रग्रहण पूर्णिमा को होता हैं | परन्तु प्रत्येक पूर्णिमा को चंद्रग्रहण नहीं होता है |
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चंद्रमा बिलकुल न दिखायी देने पर पूर्ण चंद्रग्रहण होता है | जब चंद्रमा आंशिक रूप से दिखायी देता है तब आंशिक चंद्रग्रहण होता है |
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चंद्रमा की कलाएं (PHASES OF THE MOON)
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चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी की सापेक्ष स्थितियों में परिवर्तन होते रहने के कारण पृथ्वी से दिखाई पड़ने वाले चंद्रमा के प्रकाशमान भाग का आकार अमावस्या (black moon) से पूर्णिमा (full moon) तक क्रमशः बढ़ता है और पूर्णिमा के पश्चात् अमावस्या तक क्रमशः घटता जाता है। चन्द्रमा की प्रति रात परिवर्तनशील इन स्थितियों को चंद्र चलाएं या चंद्रमा की कलाएं कहा जाता है।
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अपनी कक्षा में चंद्रमा की स्थिति जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में होती है,चंद्रमा का अंधकारमय भाग ही पृथ्वी के सम्मुख पड़ता है जिसके कारण रात में चंद्रमा अदृश्य रहता है। चंद्रमा की इस स्थिति को अमावस्या कहते हैं। 15 वें दिन चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी होती है और चंद्रमा का संपूर्ण प्रकाशित (गोल) भाग दिखाई पड़ता है जिसे पूर्णिमा (full moon) कहते हैं। अमावस्या के पश्चात् 15 दिन को शुक्ल पक्ष या उजाला पक्ष कहा जाता है। दूसरे 15 दिनों को कृष्ण पक्ष या अंधेरा पक्ष कहते हैं।
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